Since long time, I am not able to write on my personal blog much, though I have been writing on my other blogs occasionally. However, now I have decided that I shall try to write more frequently on on my personal blog too.
Here is an update of few of the things that have occupied me this time:
I have started using OpenID account finally. OpenID is a very good concept that lets you login to websites (that support OpenID) without going through the hurdles of registration. It is just like a master key for a lot of rooms. It also provides the usual registration details to those. To create your own OpenID account go to IWantMyOpenID.org.
I am also in process of updating the template for my blogs. I also decided to start using the Transliteration tool provided by blog. I am ending this entry with a very beautiful song from Taxi No 9211 (a Hindi movie that released in February 2006). The song is Aazmaale Aazmaale and the lyrics were written by Shekhar. Here is the song:
Aazmaale Aazmaale (Lyrics: Shekhar, Movie: Taxi No 9211)
आज़्माले आज़्माले... आज खुद को आज़्माले...
फिरता है कब सेऽ येः दिल संभाले...
बोल ये लब पे रुके है... तेरे सज़्देँ मेँ झुँके है...
पल पल बिखरे हैऽ कितने ऊँजालें...
क्या करूँ क्या सोचता हैऽ चैन दिल का ढूंड़ता हैऽ
अपनी किस्मत को जगा लेऽ बिच का पर्दा उठा ले। आज़्मालेऽ...
आज़्माले आज़्माले... आज खुद को आज़्माले...
फिरता है कब सेऽ येः दिल संभाले...
बोल ये लब पे रुके है... तेरे सज़्देँ मेँ झुँके है...
पल पल बिखरे हैऽ कितने ऊँजालें...
अपने गम से खेलता हैऽ दर्द कितने झेलता हैऽ
सोचता तू और कुछ हैऽ और कुछ तू बोलता है...
अपने गम से खेलता हैऽ दर्द कितने झेलता हैऽ
सोचता तू और कुछ हैऽ और कुछ तू बोलता है...
अपने दिल को तू मना लेऽ बिच का पर्दा उठा ले। आज़्मालेऽ...
आज़्माले आज़्माले... आज खुद को आज़्माले...
फिरता है कब सेऽ येः दिल संभाले...
बोल ये लब पे रुके है... तेरे सज़्देँ मेँ झुँके है...
पल पल बिखरे हैऽ कितने ऊँजालें...
कशम्कश को छोड़ दे तूऽ रुख हवा का मोड़ दे तू।
खाली पैमाना है तेरा। हो सके तो तोड़ दे तू...
कशम्कश को छोड़ दे तूऽ रुख हवा का मोड़ दे तू।
खाली पैमाना है तेरा। हो सके तो तोड़ दे तू...
एक नई मेह्फिल सजा लेऽ बिच का पर्दा उठा ले। आज़्मालेऽ...
आज़्माले आज़्माले... आज खुद को आज़्माले...
फिरता है कब सेऽ येः दिल संभाले...
बोल ये लब पे रुके है... तेरे सज़्देँ मेँ झुँके है...
पल पल बिखरे हैऽ कितने ऊँजालें...
क्या करूँ क्या सोचता हैऽ चैन दिल का ढूंड़ता हैऽ
अपनी किस्मत को जगा लेऽ बिच का पर्दा उठा ले। आज़्मालेऽ...
आज़्माले आज़्माले... आज खुद को आज़्माले...
फिरता है कब सेऽ येः दिल संभाले...
बोल ये लब पे रुके है... तेरे सज़्देँ मेँ झुँके है...
पल पल बिखरे हैऽ कितने ऊँजालें...
कितने ऊँजालें...
कितने ऊँजालें...
कितने ऊँजालें...